ये हुआ था

अगले दशक में भारत बन जाएगा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश, करना पड़ेगा इन समस्याओं का सामना

आज 11 जुलाई है और पूरी दुनिया में ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर जनसंख्या से संबंधित मुद्दों और समाधान पर लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। जिसमें परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व शामिल हैं। इस दिवस को 30 साल पहले यानी वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा इसे शुरू किया गया था, जिसके पीछे की वजह 11 जुलाई, 1987 को वैश्विक जनसंख्या 5 अरब हो गई थी।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दुनिया की जनसंख्या इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो जल्द ही आने वाले कुछ वर्षों में विश्व जनसंख्या 10 अरब के आस-पास पहुंच जाएगी। दुनिया की वर्तमान कुल आबादी 7.7 अरब के आंकड़े को पार कर गई है। इस आबादी में आधे से अधिक हिस्सेदारी केवल एशिया महाद्वीप में रहता है।

आपको वैश्विक आबादी के बारे यह जानकर आश्चर्य होगा कि वर्ष 1800 में दुनिया की आबादी ने 100 करोड़ के आंकड़े को छूआ था जबकि इसे 500 करोड़ तक पहुंचे में लगभग 200 साल का समय लग गया था, यानि वर्ष 1989 में दुनिया की आबादी पांच अरब पार कर पाई थी और वर्तमान में यह आंकड़ा 770 करोड़ पहुंच गया है।

वर्ष 2027 तक भारत की आबादी होगी दुनिया में सबसे अधिक

आजादी के बाद भारत की वर्ष 1951 में कुल आबादी 36 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 133 करोड़ से ज्यादा हो गई है। खबरों के मुताबिक भारत की जनसंख्या वृद्धि दर यही रहती है तो वर्ष 2027 तक चीन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। हालांकि इसका हमारी अर्थव्यवस्था ही नहीं कई क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यदि जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया गया तो गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, निवास, खेती के लिए जमीन, पीने के लिए पानी इत्यादि समस्याएं बहुत तेजी से आगे बढ़ेंगी।

पानी और खाद्यान्न बनेगी वैश्विक समस्या

बढ़ती आबादी के कारण न केवल आवास और रोजगार वैश्विक समस्या बन रहा है बल्कि आने वाले समय में लोगों को खाने के लिए अनाज और पीने के लिए पानी की कमी होने वाली है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 400 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है जिसमें 25 फीसदी भारतीय भी शामिल हैं।

वॉटर एड संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के कुल भूमिगत पानी का 24 फीसदी पानी भारत की जनसंख्या उपयोग करती है। देश में 1170 मिमी औसत बारिश होती है, लेकिन जल प्रबंधन की समुचित व्यवस्था न होने के कारण हम इसका सिर्फ 6 फीसदी पानी ही सुरक्षित रख पाते हैं।

एक रिपोर्ट में भारत को चेतावनी दी गई है कि यदि भूजल का दोहन नहीं रूका तो देश को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। 75 फीसदी घरों में पीने के साफ पानी की पहुंच ही नहीं है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा तय मात्रा की तुलना में भूमिगत पानी का 70 फीसदी ज्यादा उपयोग हो रहा है।

हर भारतीय को अपनाना होगा परिवार नियोजन

भारत विविधताओं वाला देश है, यहां धार्मिक आस्था और अंधविश्वासों के कारण लोग जनसंख्या पर नियंत्रण पाने के लिए परिवार नियोजन को अपनाने से कतराते हैं। हालांकि भारत में शिक्षित वर्ग ने जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान दिया है लेकिन आज भी कुछ धर्म विशेष के लोग और पिछड़े क्षेत्रों के लोगों में परिवार नियोजन के बारे में जानकारी कम है और वे कम जनसंख्या से होने वाले फायदों से परिचित नहीं है। ऐसे में उन्हें जनसंख्या वृद्धि के नुकसानों को बताना होगा ताकि उन क्षेत्रों में परिवार नियोजन को बढ़ावा मिल सके।

Rakesh Singh

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