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जॉर्ज फर्नांडिस ने ली आखिरी सांसें, कुछ ऐसा रहा राजनीतिक सफर

केन्द्र में मंत्री पद पर रहे नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने आज अपनी आखिरी सांसें लीं। जॉर्ज श्रमिक नेता थे जो समाजवादी राजनीति से जुड़े हुए थे। 88 साल की उम्र में दिल्ली के मैक्स अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। हम आपको उन्हीं के सफर के बारे में सबकुछ बताने जा रहे हैं।

George Fernandes

वे वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री के पद पर रहे। इसके अलावा कई बड़े मिशन भी उन्हीं के कार्यकाल में किए गए जिनमें पोकरण परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध शामिल हैं।

जन्म और शुरूआती जीवन-

जॉर्ज फर्नांडिस का जन्म एक कैथलिक परिवार में 3 जून 1930 में हुआ था। राजनीति से पहले वो पत्रकार थे। इसके अलावा ट्रेड यूनियन में राजनीति उन्होंने शुरू की। मंगलोर से उनके माता पिता ने उन्हें बेंगलोर भेज दिया। वहां पर वे पादरी बनने की ट्रेनिंग ले रहे थे।

यहां से शुरू हुआ क्रांतिकारी सफर-

George Fernandes

बेंगलोर से वे बोम्बे निकल पड़े और यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरु हुआ। समाजवादी ट्रेड यूनियन में वे काफी सक्रिय रहे और यहीं उन्हें ट्रेड युनियन नेता घोषित कर दिया गया। रेलवे के साथ काम करते हुए जॉर्ज ने कई स्ट्राइक्स को अंजाम दिया। 1974 में उन्हें ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन का अध्यक्ष बनाया गया था।

राजनीति में उनका पहला कार्यकाल आपातकाल के बाद जनता पार्टी के साथ था। वह 1977 में बिहार की मुज़फ़्फ़रपुर सीट से संसद के लिए चुने गए और उन्हें केंद्रीय उद्योग मंत्री नियुक्त किया गया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने आईबीएम और कोका-कोला जैसी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को संभाला।

फर्नांडिस बाद में जनता दल में शामिल हो गए। उन्होंने 1989 से 1990 तक वी पी सिंह सरकार में रेल मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने कोंकण रेलवे परियोजना की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो मैंगलोर और बॉम्बे को जोड़ती है। 1994 में, जनता पार्टी के विघटन के बाद, फर्नांडीस ने समता पार्टी का गठन किया। यह बाद में भाजपा के साथ मिल गई और वह जल्द ही अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी विश्वासपात्र बन गए। उन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी (NDA) का संयोजक नियुक्त किया गया।

George Fernandes

फर्नांडीस ने 1998 से 2004 के बीच दो कार्यकालों तक रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। उनका कार्यकाल कारगिल युद्ध और पोखरण परीक्षण के रूप में देखा गया था। वाजपेयी बराक मिसाइल कांड सहित कई विवादों के दौरान उनके साथ खड़े रहे।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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