गरम मसाला

पुण्यतिथि: बेटे के साथ हुई इस घटना ने बदल दिया था कादर खान का नज़रिया

आज ही के दिन यानि 31 दिसंबर, 2018 को हिंदी सिनेमा की जानी-मानी हस्ती कादर खान का कनाडा में निधन हो गया था। दुनिया को अलविदा कहने से पहले वे अपने जीवन के 81 साल पूरे कर चुके थे। अपनी बुलंद आवाज़ और ग़ज़ब की कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों का मनोरंजन करने वाले खान ने करीब 700 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया। इसके अलावा उन्होंने कई हिट फिल्मों के लिए संवाद लेखन का काम भी किया।

11 दिसंबर 1937 को अफ़ग़ानिस्तान के काबुल शहर में जन्मे कादर खान ने बॉलीवुड में छोटे-बड़े सभी कलाकारों के साथ काम किया। वो पहली बार राजेश खन्ना स्टारर फिल्म ‘दाग’ में नज़र आए थे। कॉमेडी के अलावा विलेन के किरदार में भी वो काफी हिट हुए। कॅरियर के शुरुआती दौर में उन्होंने विलेन का किरदार निभाया था। हालांकि बेटे के साथ हुई एक घटना के बाद उन्होंने नेगेटिव रोल करना बंद कर दिया। ऐसे में आज कादर खान की पुण्यतिथि के मौके पर जानते हैं उनके बारे में दिलचस्प किस्से और कुछ फेमस डायलॉग्स..

नेगेटिव किरदार छोड़ कॉमेडी रोल्स से बनाई पहचान

दरअसल, एक दिन उनका बेटा सरफराज स्कूल से लड़ाई कर घर लौटा। जब कादर खान ने बेटे से पूछा कि उन्होंने लड़ाई क्यों की तो सरफराज ने जवाब दिया कि स्कूल में सब उसे विलेन और बुरे आदमी का बेटा कहकर चिढ़ाते हैं। ये सुनकर कादर खान ठगे से रह गए और उन्होंने उसी वक्त तय किया कि अब वो फिल्मों में कभी नेगेटिव किरदार नहीं निभाएंगें। उसके बाद उन्होंने कॉमेडी रोल्स से पहचान बनाई।

बचपन में कादर खान बेहद गरीब थे, ऐसे में एक बार उनकी मां ने उनसे कहा था कि गरीबी मिटानी है तो पढ़ाई करो। मां की ये बात कादर खान के दिलो दिमाग में घर कर गई। उन्होंने इस्माइल यूसुफ कॉलेज से इंजीनियरिंग की और फिर वे एमएच सैबू सिद्दिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर बने। लेकिन वो कहते हैं ना कि जो जहां के लिए बना है वो वहां पहुंच ही जाता है।

आज भले ही कादर खान हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनके किरदार और उनकी अदायगी हमेशा हर नए एक्टर को इंस्पायर करती रहेगी। आखिर में आइए नज़र डालते हैं कादर खान के कुछ यादगार डायलॉग्स पर :

सत्ते पे सत्ता– दारू-वारू पीता नहीं अपुन। मालूम क्यों ? क्योंकि दारू पीने से लिवर ख़राब हो जाता है। वो उस दिन क्या हुआ अपुन दोस्त का शादी में गया था। उस दिन ज़बरदस्ती चार बाटली पिलाई। वैसे मैं दारू नहीं पीता क्योंकि दारू पीने से लिवर ख़राब हो जाता है

हम -मोहब्बत को समझना है तो प्यारे ख़ुद मोहब्बत कर, किनारे से कभी अंदाज़े तूफ़ान नहीं होता।

अग्निपथ– विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है।

कुली– हमारी तारीफ़ ज़रा लंबी है। बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं, काम करता हूँ कुली का और नाम है इक़बाल

अंगार– ऐसे तोहफे (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर।

स्पेशल: प्रोफेसर से सिनेमा तक, कुछ ऐसा रहा कादर खान का सफ़र

 

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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