ये हुआ था

ब्रिटिश हुकूमत के सबसे बड़े विरोधी थे आदिवासियों के मसीहा बिरसा मुंडा, रहस्यमयी हालत में हुई थी मौत

भारतीय इतिहास में कई क्रांतिकारी पैदा हुए जिनमें बिरसा मुंडा एक ऐसे महान नायक थे, जिन्होंने भारत के आदिवासियों की जिंदगी बदल दीं। उन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी में झारखंड में अपने क्रांतिकारी विचारों से पूरी ब्रिटिश हुकूमत को हिला कर रख दिया था। देश के आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलने के सबसे बड़े सूत्रधार बिरसा मुंडा को ही माना जाता है। आज 9 जून को इस आदिवासी मसीहा की 123वीं पुण्यतिथि है। इस अवसर पर जानिए आदिवासी समाज के भगवान बिरसा मुण्डा के प्रेरणादायक जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

मुंडा समाज में हुआ था जन्म

झारखंड के मुंडा समाज में सुगना और करमी के यहां बिरसा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ। प्रारंभिक शिक्षा सकला गांव से हासिल की फिर जर्मन मिशनरी स्कूल में दाखिला लिया, जहां उन्हें ईसाई धर्म अपनाना पड़ा। बिरसा मिशनरी स्कूल में ज्यादा समय नहीं पढ़ सकें, क्योंकि ईसाई स्कूल में उनके सामने आदिवासी संस्कृति का मजाक उड़ाया जाता था।

ईसाई धर्म से हिंदू धर्म तक का सफर

मिशनरी स्कूल के बुरे अनुभव के बाद बिरसा मुंडा ने हिंदू धर्म की ओर रूख किया। बिरसा ने ईसाई और हिंदू दोनों धर्म पर काफी बारीकी से शोध किया। बिरसा का मानना था कि आडंबर के नाम पर आदिवासी समाज के लोग अंधविश्वासों में जकड़े हुए हैं और आस्था के मामले में वो कमजोर हैं। इसलिए दोनों तरफ ही उनका शोषण हो रहा है। उस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिनके कारण लोग बिरसा मुंडा को भगवान समझने लगे थे।

आदिवासियों के भगवान

बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के हालातों को समझते हुए उनको सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर मजबूत करने के लिए संगठित किया। उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों को अंधविश्वासों के बारे में बताया व शिक्षा के प्रति जागरूक किया। वहीं जमींदारों और जागीरदारों के शोषण से मुक्त करने के लिए उनमें चेतना पैदा कीं।

अंग्रेजी हुकूमत के थे सबसे बड़े विरोधी

सन् 1900 में अंग्रेज़ों के खिलाफ बिरसा ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया। उन्होंने कहा ‘ओ गोरी चमड़ी वाले अंग्रेजों, तुम्हारा हमारे देश में क्या काम? उस समय लोगों के बीच बिरसा मुंडा अंग्रेजों के सबसे बड़े दुश्मन माने जाते थे।

जेल में हुई रहस्यमयी मौत

ऐसा माना जाता है कि जेल में उन्हें धीमा जहर दिया जाता था। 9 जून, 1900 को रांची की जेल में बिरसा मुंडा की रहस्यमयी हालत में मौत हो गईं। केवल 25 साल की उम्र में बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज में जो पहचान बनाई उसके लिए आज भी लोग उन्हें पूजते हैं।

वीर सावरकर ने हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा को विकसित करने में निभाई थी अहम भूमिका

Raj Kumar

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

1 month ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

1 month ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

2 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

2 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago