गरम मसाला

सिर पर पानी रखकर चार किमी का सफर, पीठ पर दस किलो वजन रखकर लगाई दौड़

फिल्में जब पर्दे पर आती हैं तो निश्चित तौर पर हर दर्शक को प्रभावित करती है। अमूमन यह माना जाता है कि फिल्मी दुनिया काफी ग्लैमर भरी है और यहां स्टार्स की जिंदगी काफी ऐशो आराम वाली होती है लेकिन ऐसा नहीं है। फिल्म को बेहतर बनाने के लिए स्टार्स को काफी मेहनत करनी पड़ती है, कई बार उससे भी ज्यादा जितनी आप अपनी जॉब में करते हैं। उनकी मेहनत का ही नतीजा होता है ​जब कोई किरदार विशेष आपके दिल में छाप छोड़ देता है। इन दिनों ऐसे ही कुछ किरदार लोगों को अट्रेक्ट कर रहे हैं। हालांकि अभी सिर्फ फिल्म का ट्रेलर आया है लेकिन लोगों के दिलों में फिल्म को लेकर उत्सुकता दिख रही है। हम बात कर रहे हैं फिल्म ‘सोनचिड़िया’ की।

अभि​षेक चौबे निर्देशित इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत, भूमि पेडनेकर, मनोज वाजपेयी, आशुतोष राणा, रणवीर शौरी जैसे कई उम्दा कलाकार नज़र आएंगे। 1970 के दशक के बैकड्रॉप पर बेस्ड इस फिल्म में चम्बल के डकैतों को दिखाया गया है। निश्चित रूप से फिल्म को उस माहौल में ढालने के लिए काफी मेहनत की जरूरत थी। इसके लिए निर्देशक और टीम के अन्य लोगों ने जितनी मेहनत की है उतनी ही मेहनत फिल्म के कलाकारों ने की है ताकि पर्दे पर वे रीयल डकैत नज़र आ सकें। आइए आपको इन कलकारों की तैयारी के बारे में बताते हैं ताकि आप जान सकें कि पर्दे के पीछे कितनी मेहनत छिपी होती है…।

बॉडी लैंग्वेज के लिए उठाया वजन


फिल्म चूंकि डकैतों पर आधारित है तो इसके लिए गठीला बदन होना जरूरी था। निर्देशक चौबे यह चाहते थे कि उनके सभी कलाकार किरदार में बिलकुल फिट बैठें। फिल्म शुरू होने से पहले सभी कलाकारों को डेढ़ महीने की कठिन ट्रेनिंग दी गई ताकि वे मेहनती और मजबूत नज़र आ सकें। इसके लिए टीम के सभी कलाकार चार—पांच किलो का बैग पैक लेकर छ:—सात किलोमीटर चलते थे। इसके अलावा बंदूक चलाने, भागने, पहाड़ चढने, हमला करने की भी ट्रेनिंग कलाकारों को दी गई।

भूमि को ने उठाया दस किलो गेहूं


फिल्म में नायकों के साथ—साथ भूमि का अलग किरदार भी लोगों को आकर्षित कर रहा है। भूमि के अनुसार, चम्बल की महिलाएं काफी मेहनती होती हैं, इसके लिए उन्हें रोजाना सिर पर पानी रखकर चार किमी चलना होता था ताकि फिल्म में रियलिटी आ सके। इसके अलावा मैं दस किलो की गेहूं की बोरी पीठ रखकर भी चलती थी क्योंकि मेरा किरदार काफी टफ था। उसे बंदूक चलाना और लड़ना भी आता है। मैंने किरदार के लिए चक्की पर गेहूं भी पिसा। दरअसल जब निर्देशक अभिषेक मुझसे मिले थे तो उन्होंने मुझसे कहा था, ‘इस फिल्म के लिए आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार होना पड़ेगा। आपको चंबल की महिलाओं की तरह मजबूत दिखना होगा और लाइफ स्टाइल अपनाना होगा। इस फिल्म में खूब सारा एक्शन है और शूटिंग के दौरान भागदौड़ भी खूब करनी पड़ेगी।’

बुदेलखंडी की ​ली खास क्लास


फिल्म में सभी कलाकारों की बोली ​भी बिलकुल अलग है। चम्बल के अनुसार सभी बुंदेलखंडी में बात करते नज़र आएंगे। इस​के लिए एक ट्यूटर रखा गया था। राम नरेश दिवाकर नाम के टीचर सभी कलाकारों को बुंदेलखंडी लहज़ा सिखाते थे। इसके अलावा कलाकारों ने अपने हाव भाव पर भी काफी मेहनत की है।

इन दिनों फिल्म के प्रमोशनल वीडियोज भी सामने आ रहे हैं जो दर्शकों को खासे पसंद आ रहे हैं।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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