ताजा-खबरें

अजीत डोभाल को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा, जानिए क्यों हैं ये मोदी के खास

केन्द्र में दोबारा पूर्ण बहुमत से सत्ता में लौटी मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को पुन: इस पद पर बने रहने का तोहफा दिया है। उनके द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। उनकी नियुक्ति पांच साल के लिए की गई है।

बता दें कि फरवरी महीने में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर पुलवामा में आतंकी हमला हुआ। इस हमले के बाद भारतीय वायुसेना द्वारा एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानोंं को नष्ट करने की रणनीति बनाई, जिसकी सफल रणनीति को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमलीजामा पहनाया था।

अजीत डोभाल को 30 मई, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का पांचवां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था।

क्या है एनएसए

वर्ष 1998 में गठित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) का पद राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) के मुख्य कार्यकारी एवं भारत के प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का प्राथमिक सलाहकार होता है। इस पद पर पहली बार ब्रजेश मिश्रा को नियुक्त किया गया है। एनएसए का कार्यालय नई दिल्ली में है।

यह भी पढ़ें – विश्व कप में बांग्लादेश को कमजोर आंकना, इन देशों को पड़ा महंगा

रह चुके हैं पाकिस्तान में खुफिया जासूस

अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी, 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र विषय में मास्टर डिग्री अर्थशास्त्र प्राप्त की।

वर्ष 1968 में केरल काडर से अखिल भारतीय पुलिस सेवा में चयन हुआ और चार साल बाद वह इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे।

वह सात साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस के तौर पर काम कर चुके हैं।

अजीत डोभाल भारत के एकमात्र ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है।

मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाई।

1999 में कंधार विमान हाईजैक में सरकार के प्रमुख तीन वार्ताकारों में रहे।

1971 से 1999 के बीच 15 हाईजैक की कोशिशों से निपटने में भूमिका निभाई।

1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2 से अहम खुफिया जानकारी जुटाई।

1990 में कश्मीर में उग्रवाद पर काबू के लिए जम्मू एवं कश्मीर भेजा गया।

Rakesh Singh

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

2 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

2 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

2 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

2 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

2 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

2 months ago