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चंद्रयान-2 की सफलता के पीछे इसरो की इन दो महिला वैज्ञानिकों की बड़ी भूमिका

22 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण कर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। इस सफलता में भारतीय पुरुष वैज्ञानिकों के अलावा इसरो की दो महिला वैज्ञानिकों की बहुत बड़ी भूमिका रही है जिसे हम नकार नहीं सकते हैं। इस मिशन को सफल बनाने वाली इन दोनों महिला वैज्ञानिकों का नाम मुथाया वनिता और ऋतु करिधाल है। वनिता और करिधाल दोनों ही बेंगलुरू स्थित यूआर राव अंतरिक्ष केंद्र में कार्यरत हैं।

तो आइए जानते हैं इन दोनों महिलाओं के इस मिशन को सफल बनाने में योगदान के बारे में-

मुथाया वनिता

वनिता यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में एक प्रतिष्ठित ग्रहीय मिशन का नेतृत्व करने वाली एकमात्र महिला हैं। जो पहले कार्टोसैट-1, ओशनसैट-2 और मेघा-ट्रोपिक टीमों का हिस्सा रही हैं।

एम वनिता इसरो की पहली महिला वैज्ञानिक है जो बतौर डिजाइन इंजीनियर हैं। इसरो में पूरी लगन और मेहनत के साथ अपना कार्य भार संभालती है, उन्हें प्रक्षेपण यान के हार्डवेयर के विकास की देखरेख करने की जिम्मेदारी मिल हैं। वह उम्र के 40वें पड़ाव में प्रवेश कर चुकी हैं। उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए वर्ष 2006 में एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने उन्हें बेस्ट वुमन साइंटिस्ट के अवॉर्ड से सम्मानित किया था। चंद्रयान-2 मिशन में वह पहली महिला प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनीं। वर्ष 2006 में एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने उन्हें बेस्ट वुमन साइंटिस्ट के पुरस्कार से सम्मानित किया था।

चंद्रयान-1 के परियोजना निदेशक एम. अन्नादुराई के अनुसार एम वनिता के पास बड़ी से बड़ी समस्या को सुलझाने के कौशल के साथ बेहतरीन टीम प्रबंधन की प्रतिभा भी मौजूद है।

भारत की ‘रॉकेट वुमन’ कहलाती है ऋतु करिधल

इसरो की महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधल चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर हैं। उन्हें भारत की ‘रॉकेट वुमन’ भी कहा जाता है। वह चंद्रयान—2 से पहले वर्ष 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर रह चुकी हैं।

ऋतु करिधल ने लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक किया। उन्होंने गेट परीक्षा पास की और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने इसरो में नौकरी के लिए आवेदन किया और स्पेस साइंस्टिस्ट बन गई। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वर्ष 2007 में उन्हें इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया था। करीब 21 वर्ष से इसरो में बतौर वैज्ञानिक काम कर रही ऋतु ने मार्स ऑर्बिटर मिशन समेत कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में काम कर चुकी हैं।

ऋतु करिधाल के दो बच्चे हैं वह अधिकतर वीकेंड इसरो में रहती हैं। इसरो द्वारा शेयर एक वीडियो संदेश में ऋतु ने बताया था कि, ‘मैंने महसूस किया कि विज्ञान मेरे लिए कोई विषय नहीं, बल्कि एक जुनून है। जब मुझे इसरो से नौकरी का पत्र मिला, तो मेरे अभिभावकों ने मुझ में अपना पूरा विश्वास व्यक्त किया और मुझे यहां भेजा।’

इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण से पहले जारी एक बयान में इन दोनों महिला वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की है। सिवन ने कहा कि उन्होंने हमेशा ही यह सुनिश्चित किया कि महिला वैज्ञानिक पुरुष वैज्ञानिकों के बराबर रहें। ऐसा करते वक्त उन्होंने पाया कि महिला वैज्ञानिक इस कार्य को करने में सक्षम हैं। जिसके बाद उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई।

इसरो की वार्षिक रिपोर्ट 2018-2019 में जारी आंकड़ों के मुताबिक इसरो में 2069 महिलाएं विज्ञान संबंधी और तकनीकी श्रेणियों में कार्यरत हैं, वहीं प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र में 3285 महिलाएं हैं। सिवन ने इससे पहले कहा था कि इसरो का करीब 30 प्रतिशत महिला कार्यबल चंद्रयान-2 अभियान पर कार्य करेगा।

Rakesh Singh

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