योगेश्वर दत्त को टीचर बनते देखना चाहते थे घरवाले, राजनीति में भी आजमा चुके हैं भाग्य

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भारत में क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले कम ही खिलाड़ी हुए हैं। उन्हीं में से एक वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले रेसलर योगेश्वर दत्त हैं। योगेश्वर दत्त का जन्म 2 नवंबर, 1982 को हरियाणा के सोनीपत जिले स्थित गोहना में राम मेहर और सुशीला देवी के घर में हुआ था। एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे योगेश्वर के माता-पिता पेशे से शिक्षक थे। इसलिए उनका परिवार चाहता था कि योगेश्वर भी बड़ा होकर शिक्षक ही बने। लेकिन वह खेल में अपना करियर बनाना चाहते थे। पूर्व ओलंपियन व वर्तमान में भाजपा नेता योगेश्वर दत्त के 41वें जन्मदिन पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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8 साल की उम्र में शुरु कर दी थी पहलवानी

योगेश्वर दत्त को बचपन से ही रेसलिंग का जबरदस्त शौक़ था। उन्होंने मात्र 8 साल की उम्र में कुश्ती के दांव-पेंच सीखना शुरु कर दिया था। योगेश्वर बहुत कम उम्र में अपने गांव के पहलवान केबलराज बेहद प्रभावित हो गए थे। वर्ष 1992 में उन्होंने स्कूल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। इसके बाद उनके परिवार ने भी उनको सपोर्ट करना शुरु कर दिया। करीब दो साल बाद वर्ष 1994 में उन्होंने पोलैंड में हुए इंटर स्कूल कैडेट गेम्स में हिस्सा लिया और स्वर्ण पदक जीता।

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पैर में चोट के कारण काफ़ी समय तक कुश्ती से दूर रहे

अपने रेसलिंग करियर में शुरुआती कामयाबी के बाद योगेश्वर दत्त दिल्ली आ गए। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आकर उन्होंने छत्रसाल स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। इस दौरान उन्होंने अपनी स्नातक डिग्री भी पूरी की। वर्ष 2006 में उनके पिता राम मेहर की मौत हो गई थी। इससे उन्हें बड़ा झटका लगा। इसी साल उनके पैर में भी चोट लगी, जिसके कारण योगेश्वर को काफ़ी समय तक कुश्ती से दूर रहना पड़ा। वे बड़ी मुश्किल से पिता की मौत के सदमे से उभर पाए और उन्होंने वापस प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद उन्होंने भारत के लिए कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।

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एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर किया था कमाल

साल 2008 के एशियन गेम्स में योगेश्वर दत्त ने भारत के लिए 60 किग्रा वर्ग भार में गोल्ड मेडल जीता। इस पदक जीत के साथ उन्होंने बीजिंग ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। लेकिन इस साल हुए ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल में हारकर वे पदक की दौड़ से पहले ही बाहर हो गए। वर्ष 2010 में दिल्ली में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में योगेश्वर ने स्वर्ण पदक जीतते हुए रिकॉर्ड बनाया। यह गोल्ड मेडल उन्होंने घुटने की इंजरी के होने वाबजूद जीता। साल 2012 का लंदन ओलिंपिक योगेश्वर दत्त के जीवन में सबसे बड़ी खुशी लेकर आया। जब उन्होंने कांस्य पदक जीतते हुए नया रिकॉर्ड बनाया। योगेश्वर भारत की ओर से ओलिंपिक में केडी जाधव और सुशील कुमार के बाद कांस्य पदक हासिल करने वाले तीसरे भारतीय पहलवान बने।

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‘पद्मश्री’ और ‘खेल रत्न’ से सम्मानित हैं योगेश्वर

लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद योगेश्वर दत्त को वर्ष 2012 में देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद साल 2013 में योगेश्वर को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से भी नवाज़ा गया। उन्हें खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन की वजह से हरियाणा सरकार ने अपनी योजना के तहत योगेश्वर को डीएसपी के तौर पर नियुक्त दी। अगर उनके वैवाहिक जीवन की बात करें तो योगेश्वर दत्त ने वर्ष 2017 में शीतल शर्मा नाम की लड़की से शादी की।

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दो बार चुनाव लड़ा पर दोनों बार ही हारे

साल 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए अपने डीएसपी पद से इस्तीफ़ा दे दिया। योगेश्वर दत्त भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन कर कर पार्टी के टिकट पर हरियाणा की बड़ौदा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कुछ समय बाद ही यह सीट विजेता प्रत्याशी के निधन के कारण खाली हो गईं। भाजपा ने इसी सीट से उपचुनाव में योगेश्वर को फिर से मैदान में उतारा, लेकिन वह चुनाव जीतने में सफ़ल नहीं हो सके। अगर, योगेश्वर के वैवाहिक जीवन की बात करें तो योगेश्वर दत्त ने वर्ष 2017 में शीतल शर्मा नाम की लड़की से शादी कीं।

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