व्योमेश चंद्र बनर्जी ने अंग्रेज़ों के तौर-तरीकों से प्रभावित होकर बदल दिया था अपना ‘सरनेम’

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स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) पार्टी के पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी की आज 21 जुलाई को 117वीं पुण्यतिथि है। वे राजनेता और सेनानी होने के साथ ही कोलकाता उच्च न्यायालय के एक प्रसिद्ध वकील भी थे। व्योमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेस के सह-संस्थापक में से एक थे। उन्हें अंग्रेजों की न्यायप्रियता पर बहुत विश्वास था। बाद में व्योमेश चंद्र लंदन रहने चले गए। बनर्जी अंग्रेजों के तौर-तरीके काफी पसंद करते थे, इसी वजह से ही उन्होंने अंग्रेज़ीकरण करके अपने सरनेम को ही बदल दिया था। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

व्योमेश चन्द्र बनर्जी का जीवन परिचय

स्वतंत्रता सेनानी व राजनेता व्योमेश चंद्र बनर्जी का जन्म 29 दिसंबर, 1844 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गिरीश चंद्र बनर्जी था, जो एक कलकत्ता उच्च न्यायालय में कानूनविद थे। व्योमेश चंद्र ने वर्ष 1859 में हेमांगिनी मोतीलाल से शादी की। उनकी शिक्षा ओरिएंटल सेमिनरी और हिंदू स्कूल में सम्पन्न हुई। उनके करियर की शुरुआत वर्ष 1862 में डब्ल्यू. पी. अटोर्नीज ऑफ कलकत्ता सुप्रीम कोर्ट में क्लर्क की नौकरी से शुरू हुई। इस कार्य के दौरान उन्हें कानून का अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ, जिससे उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने में काफी मदद मिलीं।

बाद में बनर्जी वर्ष 1864 में बॉम्बे आ गए। वह श्री आरजे जीजीभाई से प्राप्त छात्रवृत्ति के माध्यम से इंग्लैंड गए और वहां से कानून की पढ़ाई की। वर्ष 1868 में व्योमेश चंद्र कोलकाता वापस आ गए और उन्हें सर चार्ल्स पॉल, बैरिस्टर-एट-लॉ, कलकत्ता उच्च न्यायालय में नौकरी की। कुछ ही समय में वह उच्च न्यायालय के जाने-माने वकीलों में गिने जाने लगे। बनर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट लॉ फैकल्टी के अध्यक्ष भी रहे।

अंग्रेज़ी चाल-ढाल के कट्टर अनुयायी थे बनर्जी

व्योमेश चंद्र बनर्जी अंग्रेज़ी चाल-ढाल के इतने कट्टर अनुयायी थे कि उन्होंने स्वयं अपने पारिवारिक नाम ‘बनर्जी’ का अंग्रेज़ीकरण करके उसे ‘बोनर्जी’ कर दिया था। वर्ष 1865 में दादाभाई नौरोजी ने लंदन भारतीय समाज की स्थापना की, जिसका व्योमेश चन्द्र बनर्जी को महासचिव बनाया गया।

राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष चुने गए

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की वर्ष 1885 में बम्बई में स्थापना हुई, जिसके पहले अधिवेशन में व्योमेश चंद्र बनर्जी को पहला अध्यक्ष चुना गया था। यह अधिवेशन 28 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक चला था और 72 सदस्यों ने इसमें भाग लिया था। बाद में उन्होंने ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुनाव लड़ा। ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय थे, हालांकि वह चुनाव जीत नहीं पाए थे। वर्ष 1901 में वह कलकत्ता बार से सेवानिवृत्त होने के बाद लंदन (इंग्लैंड) में जाकर रहने लग गए थे।

ब्रिटेन में हुआ व्योमेश बनर्जी का निधन

प्रसिद्ध वकील व कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी का निधन 21 जुलाई, 1906 को इंग्लैंड में हुआ।

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