अपनी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग के कारण आज भी याद किए जाते हैं उत्पल दत्त

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कॉमेडी को फिल्मी दुनिया में सबसे कठिन विधा माना जाता है। दर्शकों को हंसाना बहुत ही ​मुश्किल काम है। ऐसे में​ किसी कलाकार में लोगों को हंसाने का गुण है तो वह हमेशा दर्शकों के बीच लोकप्रिय रहता है। ऐसे ही एक मशहूर कलाकार थे अभिनेता उत्पल दत्त। थिएटर, लेखन से जुड़े उत्पल ने यूं तो कई क्षेत्रों में काम किया, लेकिन सबसे ज्यादा पसंद उन्हें कॉमेडी फिल्मों के किया गया। 29 मार्च को इसी जाने माने कलाकार की 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस ख़ास अवसर पर जानिए उत्पल दत्त के जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…

Utpal-Dutt

कॉलेज के दिनों से ही थिएटर से प्यार करते थे उत्पल

अभिनेता, निर्देशक व लेखक-नाटककार उत्पल दत्त का जन्म 29 मार्च, 1929 को अविभाजित भारत के बंगाल प्रांत (अब बांग्लादेश) के बारिसल में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई शिलांग से कीं। इसके बाद पिता गिरिजा रंजन दत्त ने आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें कोलकाता भेज दिया, जहां उन्होंने अंग्रेजी साहित्य से ग्रेजुएशन किया। कॉलेज के दिनों से ही वे थिएटर से प्यार करते थे और उनका यही प्यार उन्हें आगे तक ले गया। उन्होंने वर्ष 1940 में इंग्लिश थिएटर से अपने अभिनय करियर की शुरुआत कीं।

थिएटर के दौरान लेखन कार्य शुरू किया

उत्पल दत्त ने धीरे-धीरे इंग्लिश नाटकों के अलावा बंगाली नाटकों में भी काम करना शुरू कर दिया। चूंकि उन्हें लिखने का भी शौक था, इसलिए उन्होंने नाटक लेखन भी शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने नाटकों के निर्देशन में भी हाथ आजमाया। वे अपनी बातों को अलग और साफ अंदाज में कहते थे। बंगाली राजनीति पर लिखे उनके नाटकों के कारण कई बार विवाद भी हुआ।

राजनीति से जुड़े लोगों की बन गए थे नापसंद

वर्ष 1963 में प्ले किया गया उनका नाटक ‘कल्लोल’ विवादों में घिरा रहा। इसमें नौसैनिकों की बगावत की कहानी को दिखाया गया था। इसके जरिए तब की कांग्रेस सरकार पर निशाना भी साधा गया था। दरअसल, दत्त मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे। उनके नाटक जहां आम लोगों को पसंद थे, वहीं राजनीति से जुड़े लोगों को वे काफी खटकते थे।

जब कांग्रेस सरकार ने जेल भिजवाया

वर्ष 1965 में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सरकार ने नाराज होकर उत्पल दत्त को कई महीनों के लिए जेल में डाल दिया था। वर्ष 1967 में जब बंगाल विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस सरकार को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस तरह बंगाल में पहली बार वाम दलों की गठबंधन सरकार बनीं। कांग्रेस सरकार की हार के अहम कारणों में दत्त की गिरफ्तारी एक वजह मानी गईं। जब देश में इमरजेंसी लगा तो दत्त ने तीन नाटक लिखे थे- ‘बैरीकेड’, ‘सिटी ऑफ नाइटमेयर्स’ और ‘इंटर द किंग’। उस वक्त सरकार ने उनके तीनों नाटकों के मंचन पर बैन लगा दिया था।

बोलने का अलग अंदाज दर्शकों को हमेशा भाया

अगर फिल्मी दुनिया की बात करें तो उत्पल दत्त ने अपने जीवन में 100 से ज्यादा फिल्में कीं। फिल्म ‘गोलमाल’ में उनके किरदार को आज भी याद किया जाता है। उनके बोलने का अलग अंदाज दर्शकों को काफी पसंद आता था। उन्हें डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्में ‘गोलमाल’, ‘नरम गरम’ और ‘रंग बिरंगी’ के लिए फिल्मफेयर (कॉमेडी) अवाॅर्ड मिला। 19 अगस्त, 1993 को उत्पल दत्त इस दुनिया को अलविदा कह गए।

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