एनटी रामाराव 300 फिल्मों में काम करने के बाद राजनीति में आए थे, तीन बार रहे आंध्रप्रदेश के सीएम

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साउथ सुपरस्टार और आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम एनटी रामाराव ने अपने जीवन से सभी को प्रभावित किया था। इसी वजह से उनके ​जीवन दो हिस्सों में बायोपिक भी बन चुकी है। फिल्म में उनका रोल नंदमूरि बालकृष्ण ने निभाया और बॉलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन ने उनकी पत्नी बासवतारकम का किरदार निभाया था। रामाराव ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने बाद राजनीति में अपना भाग्य आजमाया। उनका पूरा नाम नन्दमूरि तारक रामाराव था। एन.टी. रामाराव एक अभिनेता होने के साथ ही निर्देशक, फिल्म निर्माता एवं राजनेता थे। एनटीआर के उपनाम से प्रसिद्ध रामाराव ने तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की और वर्ष 1983 और 1995 के बीच में वो तीन बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 28 मई को एन. टी. रामाराव की 99वीं जयंती है। ऐसे में इस खास मौके पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में दिलचस्प बातें…

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राम-कृष्ण के जीवन से जुड़ी किरदारों में काफी पसंद आए

राजनीति में आने से पहले रामाराव तेलुगु फिल्मों के मशहूर अभिनेता थे। एक्टिंग उन्हें बचपन से ही काफी पसंद थी। अपने किरदारों से उन्होंने कई बार दर्शकों का दिल जीता। 1950 के दशक में उन्होंने हिन्दू देवताओं जैसे कृष्ण और राम के जीवन से जुड़ी फिल्मों में काम किया। उनके यह किरदार दर्शकों को काफी पसंद आए और लोग उन्हें भगवान के रूप में पसंद करने लगे। उन्होंने 250 से ज्यादा तेलुगु फिल्मों में कार्य किया, जिसके कारण वह तेलुगु फिल्मों के इतिहास में सबसे जाने-माने अभिनताओं में से एक माने जाते हैं। तेलुगु के अलावा उन्होंने तमिल और हिंदी भाषा की फिल्मों में भी कार्य किया। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1968 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया।

आर्थिक तंगी की वजह से दूध बेचते थे एनटीआर

एनटी रामाराव का जन्म 28 मई 1923 को मद्रास प्रेसीडेंसी के कृष्ण जिले स्थित गुड़िवाड़ा तालुक के एक छोटे से ग्राम निम्माकुरु में हुआ था। उन्हें प्रारम्भिक शिक्षा गांव के शिक्षक सुब्बा राव ने दी। बचपन में ही उनके माता-पिता ने उन्हें मामा को गोद दे दिया था। गांव में पढ़ाई की उचित व्यवस्था ना होने के कारण वे पांचवी तक ही शिक्षा ग्रहण ​कर पाए। इसके बाद अपने मामा और मामी के साथ विजयवाड़ा चले गए। यहां उन्होंने नगर निगम स्कूल में एडमिशन लिया और वर्ष 1940 में दसवीं की परीक्षा पास की।

इसके बाद आगे की शिक्षा एस आर आर और सी वी आर कॉलेज से प्राप्त की। लेकिन इस दौरान उन्हें आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा। तंगी के कारण उन्होंने स्थानीय होटलों में दूध बेचने का काम किया ताकि परिवार की कुछ मदद कर सकें। वर्ष 1945 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए आन्ध्र-क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। वर्ष 1942 में उन्होंने अपने मामा की बेटी के साथ विवाह किया।

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17 फिल्मों में निभाई भगवान कृष्ण की भूमिका

एनटीआर के फिल्मी कॅरियर की बात करें तो उनकी शुरुआत ‘मना देसम’ (1949) नामक तेलुगु फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका से हुई थी। इसके बाद उन्होंने एक अंग्रेजी नाटक पिजारो पर आधारित और बी. ए. सुब्बाराव द्वारा निर्देशित फिल्म ‘पल्लेतुरी पिल्ला’ में अभिनय किया। इस फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की और रामाराव एक लोकप्रिय अभिनेता बन गए। अपनी पहली पौराणिक फिल्म ‘माया बाज़ार’ में उन्होंने हिन्दू देवता कृष्ण का चरित्र निभाया था।

यह फिल्म भी बहुत कामयाब हुई जिसके बाद एनटी रामाराव ने अधिकांशत: हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्में की। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, भीष्म, अर्जुन, कर्ण, दुर्योधन, विष्णु, शिव आदि के किरदार निभाए। उन्होंने 17 फिल्मों में कृष्ण का चरित्र निभाया था जिनमें प्रमुख हैं ‘श्री कृष्णार्जुन युधम’, ‘कर्णं’ और ‘दानवीर सूर कर्ण’।

फिल्मों में पटकथा लेखन का काम भी किया

रामाराव ने बाद के सालों में पौराणिक फिल्मों को छोड़ ऐसे किरदारों को निभाया, जो स्थापित व्यवस्था के खिलाफ लड़ता है। ये फिल्में आम आदमी के बीच बहुत लोकप्रिय हुईं। इनमें प्रमुख हैं ‘देवुदु चेसिना मनुशुलु’, ‘अदावी रामुडु’, ‘ड्राईवर रामुडु’, ‘वेतागादु’, ‘सरदार पापा रायुडु’, ‘जस्टिस चौधरी’ इत्यादि। एनटीआर ने फिल्मों में पटकथा लेखन भी किया। उन्होंने फिल्म निर्माता के तौर पर कई फिल्में भी बनायी और राजनीति में प्रवेश के बाद भी फिल्मों में कार्य करते रहे। उनकी प्रतिभा और फिल्म जगत में योगदान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके नाम पर एन.टी.आर. नेशनल अवॉर्ड दिया जाता है।

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कांग्रेस से राज्य की मुक्ति के लिए आए थे राजनीति में

एनटीआर ने वर्ष 1982 में तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना कर राजनीति में प्रवेश किया। राजनीति में प्रवेश का मुख्य कारण था आंध्र प्रदेश को कांग्रेस के राज और आधिपत्य से मुक्ति दिलाना। चुनावों में उनकी पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली और 9 जनवरी 1983 को एनटीआर दस कैबिनेट मंत्रियों और पांच राज्य मंत्रियों के साथ आंध्र-प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अपने पहले कार्यकाल के दौरान एनटीआर ने जन मानस को एकत्र करना शुरू किया और महिलाओं और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने का कार्य किया।

अगस्त 1984 में आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल रामलाल ने उन्हें हटाकर भास्कर राव को मुख्यमंत्री बना दिया पर भारी विरोध प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री ने राज्यपाल रामलाल को हटाकर शंकर दयाल शर्मा को नया राज्यपाल नियुक्त किया, जिन्होंने एनटी रामाराव को सितम्बर 1984 में फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनाया।

जनता के बीच जबरदस्त लोकप्रिय थे रामाराव

एनटीआर जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर थी, तब बस आंध्र-प्रदेश में कांग्रेस नहीं जीत पाई। इतना ही नहीं तेलुगु देशम लोक सभा में मुख्य विपक्षी दल भी बन गया। वर्ष 1989 के चुनाव में विरोधी लहर के कारण तेलुगु देशम पार्टी चुनाव हार गयी और कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में वापस आ गयी। वर्ष 1994 में एनटीआर दोबारा सत्ता में लौटे। उनकी तेलुगु देशम पार्टी की 226 सीटों पर विजय हुई। इस बार एनटीआर सिर्फ 9 महीने के लिए ही मुख्यमंत्री पद रह पाए, क्योंकि उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी के अंदर भीतरघात कर एनटी रामाराव को पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद से हटा दिया।

दूसरी शादी को परिवार ने नहीं किया स्वीकार, गजब है लवस्टोरी

एनटीआर ने वर्ष 1942 में अपने मामा की बेटी बासव तारकम से विवाह किया। इन दोनों के आठ बेटे और चार बेटियां थीं। उनकी पत्नी बासव तारकम की मृत्यु वर्ष 1985 में हुई थी। इसके बाद वर्ष 1993 में सत्तर साल की उम्र में रामा राव ने तेलुगु लेखक लक्ष्मी पार्वती से पुनः विवाह किया, लेकिन एन.टी.आर. के परिवार ने लक्ष्मी को कभी भी स्वीकार नहीं किया। इन ​दोनों की लव स्टोरी की बात करें तो लक्ष्मी, एनटीआर से उनकी बायोग्राफी के सिलसिले में मिली थी। लक्ष्मी ने एक इंटरव्यू में बताया कि वे बचपन से रामराव की फैन थीं। जब वे राजनीति में आए तो वे उनकी बायोग्राफी लिखना चाहती थीं।

इस बारे में जब उन्होंने एनटीआर को बताया तो वे भी तुरंत राजी हो गए। उनके लिए यह सपना सच होने जैसा था। जब वे उनकी बायो​ग्राफी लिख रही थीं तो दोनों अक्सर मिला करते थे। दोनों घंटों फोन पर बातें किया करते थे। एक बार एनटीआर ने बताया कि वे उनसे बात करने के लिए तीन लाख रुपए ​फोन का बिल भर चुके हैं। दोनों का प्यार धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा था और एक दिन एनटीआर ने उन्हें प्रपोज कर दिया। समाज और तलाकशुदा होने के कारण पहले लक्ष्मी के मन में थोड़ी शंका थी, लेकिन फिर उन्होंने एनटी रामाराव से शादी के लिए हामी भर दी, क्योंकि वे भी अपनी जिंदगी में अकेलापन महसूस कर रही थीं।

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