मशहूर गीतकार गुलशन बावरा ने फिल्मों में बतौर एक्टर भी किया था काम

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Gulshan-Bawra-Biography

‘मेरे देश की धरती सोना उगले…’ जैसे देशभक्ति गीत लिखकर अमर हो गये गीतकार गुलशन बावरा की आज 7 अगस्त को 14वीं डेथ एनिवर्सरी है। उन्होंने अपनी गीत लेखन और अभिनय कला से हिन्दी फिल्म जगत की 49 साल सेवा ​की थी। इस दौरान गुलशन ने फिल्मों के लिए करीब 250 गीत लिखे। उनके द्वारा लिखे भावपूर्ण गीत आज भी युवा पीढ़ी में प्रासंगिक बने हुए हैं, जो लोगों की जुबां पर आज भी कई मौकों पर सुने जा सकते हैं। इस अवसर पर जानिए गुलशन बावरा साहब के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

लाहौर के पास शेखुपूरा में हुआ था जन्म

गुलशन बावरा का जन्म अवि​भाजित भारत के लाहौर के पास शेखुपूरा (अब पाकिस्तान) में 12 अप्रैल, 1937 को हुआ था। उनका वास्तविक नाम गुलशन मेहता था। उन्हें ‘बावरा’ उपनाम फिल्म वितरक शांतिभाई दबे ने दिया था, जो बाद में गुलशन बावरा के नाम से जाना जाने लगा। उनकी मां विद्यावती एक धार्मिक प्रवृति की महिला थी जो संगीत में काफी रुचि रखती थी। गुलशन भी मां के साथ धार्मिक कार्यक्रमों में जाते थे। इससे उनके दिमाग में संगीत के प्रति भावना जाग्रत हुई, लेकिन उन पर देश विभाजन के दौरान पहाड़ सा आ टूटा, जब उनकी आंखों के सामने उनके माता-पिता को दंगाइयों ने मौत के घाट उतार दिया।

दुख और अपनों को खोने के गम में वे अपनी बड़ी बहन के पास दिल्ली चले आये। यही पर रहकर उन्होंने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की। कॉलेज में पढ़ाई के समय ही वे कविता भी लिखा करते थे, जो आगे चलकर उनके गीतकार बनने में सहायक साबित हुई। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1955 में मुंबई रेलवे में लिपिक के तौर पर की, पर बावरा को यह नौकरी ज्यादा दिन बांध न सकी। बाद में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और अपना सारा ध्यान फिल्मों में करियर बनाने में लगा दिया। ​

फिल्म में पहला गीत लिखने से पहले करना पड़ा संघर्ष

जब गुलशन बावरा का मन क्लर्क की नौकरी में लगा ही नहीं तो वे बॉलीवुड में गीतकार के रूप में खुद को स्थापित करने के​ लिए आ गये। फिल्म जगत में शुरुआत में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। वे छोटे बजट की फिल्मों में काम करने को विवश थे। सिनेमा जगत में उनको पहला अवसर वर्ष 1959 में फिल्म ‘चंद्रसेना’ में मिला, जिसके लिए उन्होंने पहला गीत लिखा। हालांकि, उनके पहले गाने को खास कामयाबी नहीं मिली।

Gulshan-Bawra

कल्याणजी और आनंदजी से मुलाकत ने बदली किस्मत

फिल्मी करियर के उतार-चढ़ाव के दौरान गुलशन बावरा की मुलाकात प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी कल्याण जी और आनंद जी से हुई। उनके संगीत निर्देशन में गुलशन ने फिल्म ‘सट्टा बाजार’ के लिये- ‘तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे’ गीत लिखा, जिसे सुनकर फिल्म के वितरक शांतिभाई पटेल काफी खुश हुए। दबे जी को उनके द्वारा लिख इस गीत पर विश्वास नहीं हुआ कि इतनी छोटी सी उम्र में कोई व्यक्ति इतना डूबकर लिख सकता है। फिर क्या था शांतिभाई ने ही उनको ‘बावरा’ के उपनाम से पुकारना शुरू कर दिया और पूरी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें गुलशन मेहता के बजाय गुलशन बावरा के नाम से पुकारने लगीं।

मायानगरी में आठ वर्ष तक संघर्ष करना पड़ा

लगभग आठ वर्षों तक गुलशन बावरा को मायानगरी में संघर्ष करना पड़ा था। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उनको संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में, निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार की फिल्म ‘उपकार’ में गीत लिखने का मौका मिला। जब उन्होंने गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले…’ गाकर सुनाया तो मनोज ने बहुत पंसद किया और इसके बाद गुलशन बावरा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

कई फिल्मों में अभिनय भी किया था बावरा ने

वर्ष 1969 में फिल्म ‘विश्वास’ के लिए उन्होंने ‘चांदी की दीवार न तोड़ी..’ जैसे भावपूर्ण गीत लिखकर बता दिया कि वे किसी भी प्रकार के गीत लिख सकते हैं। बावरा जी ने कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में 69 गीत लिखे, वहीं आर. डी. बर्मन के साथ 150 गीत लिखे थे। उन्होंने फिल्म ‘सनम तेरी कसम’, ‘अगर तुम न होते’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘यह वादा रहा’, ‘हाथ की सफाई’ और ‘रफू चक्कर’ को अपने गीतों से सजाया था।

यही नहीं अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया और कई फिल्मों में एक्टिंग भी की। इनमें फिल्म ‘उपकार’, ‘विश्वास’, ‘जंजीर’, ‘पवित्र पापी’, ‘अगर तुम ना होते’, ‘बेईमान’, ‘बीवी हो तो ऐसी’ आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा उन्होंने फिल्म ‘पुकार’ और ‘सत्ते पे सत्ता’ के लिए पार्श्व गायन किया।

दो ‘फिल्म फेयर पुरस्कार’ अवॉर्ड किए अपने नाम

सुप्रसिद्ध गीतकार गुलशन बावरा को उनके फिल्मी करियर के दौरान बतौर ‘सर्वश्रेष्ठ गीतकार’ फिल्म ‘उपकार’ में ‘मेरे देश की धरती’ और फिल्म ‘जंजीर’ में ‘यारी है ईमान मेरा’ गीत के लिए ‘फिल्म फेयर पुरस्कार’ मिला था। उन्होंने 7 वर्ष तक ‘बोर्ड ऑफ इंडियन परफार्मिंग राइट सोसायटी’ के निदेशक पद को भी सुशोभित किया था। अपने लिखे गीतों से श्रोताओं को आज भी गुनगुनाने के लिए मजबूर करने वाले गुलशन बावरा 7 अगस्त, 2009 को मुंबई में इस दुनिया को ​अलविदा कह गये।

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