एफटीआईआई के शुरुआती स्टूडेंट्स में से एक हैं हास्य अभिनेता असरानी

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बॉलीवुड में सिर्फ लीड एक्टर्स ही नहीं बल्कि, सपोर्टिंग आर्टिस्ट्स और कॉमेडी किरदारों की भी अपनी एक अलग छवि होती है। भले ही किसी कैरेक्टर का रोल सिर्फ कुछ मिनटों के लिए फिल्म में रखा गया हो, मगर एक अच्छा अभिनेता उन कुछ पलों में भी अपनी एक गहरी छाप छोड़ देता है। बॉलीवुड के ऐसे ही एक अभिनेता हैं असरानी, जिन्होंने अपनी अदाकारी से हर फिल्म में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। असरानी का पूरा नाम गोवर्धन असरानी है। उनका बर्थडे नए साल की शुरुआत के पहले दिन ही आता है। अभिनेता असरानी के 82वें जन्मदिन के अवसर पर जानते हैं उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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राजस्थान के जयपुर शहर में हुआ जन्म

अभिनेता गोवर्धन असरानी का जन्म 1 जनवरी, 1941 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक सिंधी परिवार में हुआ था। असरानी फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से प्रशिक्षित होने वाले शुरूआती कलाकारों में से एक थे। वह भी तब जब असरानी गुजराती फिल्मों का एक जाना पहचाना चेहरा बन चुके थे। लेकिन प्रशिक्षित होना और काम मिलना दो अलग-अलग चीजें थीं। काफी संघर्ष करने के बाद भी जब कुछ बात नहीं बनी तो असरानी हार कर लौट आए।

उस दौरान उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में ही काम शुरू किया। लेकिन तब भी हिंदी फिल्मों में काम न कर पाने की कसक उनके मन में थी। उन्हीं दिनों निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी अपनी फिल्म ‘गुड्डी’ के लिए अभिनेत्री तलाश करने के लिए एफटीआईआई आए हुए थे। असरानी ने ही जया भादुड़ी को ऋषिकेश मुखर्जी से मिलवाया था। साथ ही उन्होंने अपने बारे में भी ऋषि दा से बात की।

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लगातार ऋषि दा की फिल्मों का हिस्सा बने रहे

काम नहीं होने पर भी ऋषि दा ने फिल्म में एक छोटा सा किरदार असरानी को दिया। उनका ‘जरा दस रुपए देना’ वाली संवाद अदायगी लोगों को आजतक गुदगुदा देती है। इसके बाद से गोवर्धन असरानी लगातार ऋषि दा की फिल्मों का हिस्सा बने रहे। 70 के दशक में कई फिल्मों में काम करने के बाद असरानी समझ चुके थे कि उन्हें खुद के लिए हीरो या विलेन से हटकर एक अलग किरदार तैयार करना होगा।

हास्य की दुनिया में स्थापित किया नया आयाम

उछलकूद कर, आड़े-टेढ़े चेहरे बनाकर वो एक ऐसे हास्य अभिनेता बने, जिनकी अदायगी का मुकाबला करना आज भी नामुमकिन है और इसी खास विशेषता के साथ पिछले पांच दशकों में उन्होंने हास्य की दुनिया में एक नया आयाम बनाया। 80 के दशक में दक्षिण भारत की फिल्मों में भी चरित्र अभिनेता के रूप में गोवर्धन असरानी पहली पसंद बने। उन्होंने कई दक्षिण भारतीय फिल्मों की हिंदी रीमेक में भी काम किया।

इसके अलावा असरानी ने निर्देशन में भी कदम रखा। उन्होंने कुल 6 फिल्मों का निर्देशन किया, लेकिन अपने व्यस्त अभिनय कॅरियर के चलते वो निर्देशन को पूरा वक्त नहीं दे सके। उनकी आखिरी निर्देशित फिल्म 90 के दशक में आई ‘उड़ान’ थी। वैसे सच यही है कि इंडस्ट्री में उनका योगदान इतना बड़ा है कि फिल्मों में जब भी हास्य कलाकारों की बात चलेगी, तो गोवर्धन असरानी का नाम जरूर आएंगा।

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