अभिनेता राजकुमार के फैंस सिनेमा से बाहर निकलकर कॉपी किया करते थे उनके डायलॉग्स

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हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय और डायलॉग्स से सिने-प्रेमियों को अपना कायल बनाने वाले अभिनेता राजकुमार की 3 जुलाई को 27वीं डेथ एनिवर्सरी है। ‘जानी…’ इतना सुनते ही उनके जमाने के लोगों की आंखों के सामने इस अभिनेता का चेहरा आ जाता है। उनके इस दुनिया को अलविदा कहने के करीब पच्चीस साल बाद भी ‘हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, हम आंखें ही चुरा लेते हैं’ जैसे मशहूर डायलॉग लोगों की जुबान पर सुनाई दे जाते हैं। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…

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पुलिस सब-इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ अभिनय चुना

राजकुमार का जन्म 8 अक्टूबर, 1926 को बलूचिस्तान प्रांत के लोरालाई (बोरी) में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के कब्जे में है। उनका वास्तविक नाम कुलभूषण पंडित था, पर बॉलीवुड में वह राजकुमार के नाम से प्रसिद्ध हुए। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे मुंबई के माहिम पुलिस थाने में सब-इंस्पेक्टर के रूप में कार्य करने लगे थे। लेकिन एक रोज रात में गश्त के समय उनके एक सिपाही ने राजकुमार से कहा कि ‘हजूर आप रंग-ढंग और कद-काठी में किसी हीरो से कम नहीं है। फ़िल्मों में यदि आप हीरो बन जाएं, तो लाखों दिलों पर राज कर सकते हैं। राज को सिपाही की बात काफी पसंद आई और उन्होंने ऐसा करने की ठान ली।

यह संयोग भी रहा कि जिस पुलिस थाने में वह सेवारत थे, उसमें अक्सर फ़िल्म उद्योग से जुड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता था। एक दिन ड्यूटी टाइम में पुलिस थाने में फ़िल्म निर्माता बलदेव दुबे किसी काम से आए थे, तब उनकी मुलाकात राजकुमार से हुई। दुबे राज कुमार के बात करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। वह राज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी फ़िल्म ‘शाही बाज़ार’ में अभिनेता के रूप में काम करने की पेशकश की तो राजकुमार ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और इस तरह उन्हें बॉलीवुड में एंट्री मिलीं।

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राज को एयर होस्टेस से हुआ था प्यार

एक बार हवाई सफ़र के दौरान अभिनेता राजकुमार को एयर होस्टेस जेनिफर से प्यार हो गया था। जेनिफर एंग्लो-इंडियन लड़की थी। बाद में इन दोनों ने शादी कर ली थी। शादी करने के बाद जेनिफर ने अपना नाम ‘गायत्री राजकुमार’ रख लिया। इन दोनों के तीन बच्चे हुए। मुंबई में पुलिस सब-इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ फिल्म ‘शाही बाज़ार’ से बॉलीवुड का सफ़र शुरू करने वाले राजकुमार को करियर की शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ा।

खर्च चलाने के लिए फ़िल्म ‘रंगीली’ में एक छोटी भूमिका की

पहली फिल्म को बनने में काफी समय लग गया था और राजकुमार को अपना जीवनयापन करने में काफी कठिनाई होने लगी। इसलिए उन्होंने खर्च चलाने के लिए वर्ष 1952 मे फ़िल्म ‘रंगीली’ में एक छोटी सी भूमिका करना स्वीकार कर लिया था, लेकिन यह फिल्म उन्हें कोई प्रसिद्धी न दिला सकीं। इस बीच उनकी फ़िल्म ‘शाही बाज़ार’ भी प्रदर्शित हुई, जो बॉक्स ऑफिस पर सफ़ल नहीं रही थी।

इस फिल्म का असफल होना, उनके बॉलीवुड करियर की शुरुआत में ही बहुत बड़ा झटका था। राजकुमार के तमाम रिश्तेदार यह कहने लगे कि तुम्हारा चेहरा फ़िल्म के लिये उपयुक्त नहीं है। कुछ लोग ने तो यहां तक कह दिया कि तुम खलनायक बन सकते हो। वर्ष 1952 से 1957 तक राज कुमार फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। ‘रंगीली’ के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली उन्होंने उसे स्वीकार कर ली और काम करते चले गए। इस बीच राजकुमार ने ‘अनमोल’ ‘सहारा’, ‘अवसर’, ‘घमंड’, ‘नीलमणि’ और ‘कृष्ण सुदामा’ जैसी कई फ़िल्मों में अभिनय किया, लेकिन कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफ़ल साबित नहीं हुईं।

फिल्म ‘पैगाम’ ने दिलाई बॉलीवुड में पहचान

अभिनेता राजकुमार को बॉलीवुड में पहचान वर्ष 1959 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘पैगाम’ से मिलीं। हालांकि, इस फिल्म में मुख्य अभिनेता तो दिलीप कुमार थे, लेकिन इस फिल्म में राज कुमार ने अपनी डायलॉग डिलीवरी से दर्शकों के बीच में खूब वाही-वाही लूटी और वे रातों-रात प्रसिद्ध हो गए।

अपनी डायलॉग डिलीवरी के लिए प्रसिद्ध रहे

बॉलीवुड में अपनी डायलॉग डिलीवरी को लेकर अपने फैन्स के बीच प्रसिद्ध रहे राजकुमार के डायलॉग्स आज भी बच्चे और युवाओं की जुबां से आसानी से सुने जा सकते हैं। राज कुमार की फिल्मों में उनकी डायलॉग डिलीवरी इतनी शानदार होती थी कि फैन्स सिनेमा से बाहर निकलकर डायलॉग को कॉपी किया करते थे।

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ये हैं राजकुमार के कुछ फेमस डायलॉग्स—

1. फिल्म ‘पैगाम’ का यह डायलॉग तो आपने सुना ही होगा, ‘दुनिया जानती है कि राजेश्वर सिंह जब अपनी दोस्ती निभाता है तो अफ़साने बन जाते हैं, मगर दुश्मनी निभाता है तो इतिहास लिखे जाते हैं।’

2. फिल्म ‘सौदागर’— ‘हम तुम्हें मारेंगे और ज़रूर मारेंगे। लेकिन वह वक़्त भी हमारा होगा, बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी।’

3. फिल्म ‘वक्त’— ‘चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं, वो दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं मारते।’

4. फिल्म ‘तिरंगा’— ‘हमारी ज़बान भी हमारी गोली की तरह है, दुश्मन से सीधी बात करती है।’

5. फिल्म ‘तिरंगा’— ‘हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, हम आंखें ही चुरा लेते हैं।’

6. फिल्म ‘सौदागर’— ‘काश कि तुमने हमें आवाज़ दी होती तो हम मौत की नींद से भी उठकर चले आते।’

7. फिल्म ‘तिरंगा’— ‘हम तुम्हें वो मौत देंगे, जो न तो क़ानून की किताब में लिखी होगी और न ही किसी मुजरिम ने सोची होगी।’

8. फिल्म ‘मरते दम तक’— ‘हम तुम्हें ऐसी मौत मारेंगे कि तुम्हारी आने वाली नस्लों की नींद भी उस मौत को सोच कर उड़ जाएगी।’

बॉलीवुड अभिनेता राज कुमार का निधन

हिंदी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता राजकुमार का निधन 3 जुलाई, 1996 को 70 वर्ष की उम्र में मुंबई में हुआ था। इस तरह यह सितारा हमेशा के लिए फिल्मी दुनिया और अपने प्रशंसकों को अलविदा कह गया।

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